
•दिव्य झांकियों और भजनों ने मोह लिया जन-मन, भक्ति-रस में डूबे श्रद्धालु।
•जयकारों से गूंज उठा कथा स्थल, वातावरण हुआ अलौकिक।
के के मिश्रा संवाददाता।
गोरखपुर। बहार क्लस्टर, सहारा स्टेट, गोरखपुर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ के छठे दिवस की कथा में विश्व की सबसे कम आयु की अंतर्राष्ट्रीय बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया ने महारास, कंस वध और श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह का दिव्य वर्णन कर श्रोताओं को भक्ति और आनंद से सराबोर कर दिया।

उन्होंने महारास लीला का वर्णन करते हुए कहा कि यह केवल नृत्य का प्रसंग नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन का दिव्य प्रतीक है। गोपियों के प्रेम और श्रीकृष्ण के माधुर्य ने ब्रजभूमि को अनुपम भक्ति से सराबोर कर दिया।
इसके बाद उन्होंने कंस वध की कथा सुनाई। कंस के अत्याचारों से पीड़ित जनता की रक्षा हेतु भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मामा का वध कर धर्म की स्थापना की। इस प्रसंग ने श्रोताओं को यह संदेश दिया कि अन्याय और अधर्म का अंत निश्चित है।
कथा का मुख्य आकर्षण रहा श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह। जब दिव्य झांकी में बारात का दृश्य प्रस्तुत हुआ तो पूरा पंडाल जयघोषों से गूंज उठा। भक्ति-गीत और संगीत ने विवाह का उत्सव ऐसा जीवंत कर दिया कि श्रद्धालु स्वयं को द्वारका नगरी में अनुभव करने लगे।
भव्य झांकियों और संगीतमय प्रस्तुतियों ने कथा स्थल को अद्वितीय आभा से मंडित कर दिया। श्रद्धालु ‘राधे-राधे’ और ‘जय श्रीकृष्ण’ के जयकारों में भावविभोर होकर झूमते रहे।
आयोजक एवं यजमान: अनिल श्रीवास्तव एवं विनीता श्रीवास्तव, कथा संयोजिका: डॉ. सरिता सिंह रहीं।
इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित रहे सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ पाण्डेय, आचार्य गौरव पाण्डेय काशी, चंचला शुक्ला संजय श्रीवास्तव, रणविजय सिंह, उदय शंकर ओझा, भानु प्रताप सिंह, राजू सिंह, पुष्पेंद्र शुक्ला, अभिनव जायसवाल, देवेन्द्र प्रताप मिश्र, प्रेम कुमार मिश्र, जय प्रकाश श्रीवास्तव, बृजेंद्र सिंह, डॉ. राकेश सिंह, नीतेश अनीता अग्रवाल, डा इंद्रजीत तिवारी निर्भीक काशी,डॉ. रागिनी पाण्डेय (देहदानी), लव मिश्रा, सत्य प्रकाश, अर्चना दुबे, तथा बाल भक्त सौराष्ट्र सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु गण मौजूद रहे।