
•शिकायतकर्ता ने खोला भ्रष्टाचार का बड़ा खेल।
बल्दीराय/सुल्तानपुर। ग्रामसभा सिंघनी में हुए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला अब सिर्फ ग्राम प्रधान तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसकी आंच सीधे ब्लाक मुख्यालय और जिला स्तरीय जिम्मेदार अधिकारियों तक पहुंच रही है। गांव निवासी शिकायतकर्ता प्रवीण कुमार सिंह ने कहा है कि ग्रामप्रधान विकास यादव अकेले इस ‘ईंट और विकास कार्यों के बड़े घोटाले’ को नहीं अंजाम दे सकते। इसमें ब्लाक मुख्यालय और विभागीय जिम्मेदारों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता ?
जांच अधिकारी और ब्लाक के जिम्मेदारों और प्रधान की तिकड़ी के चक्रव्यूह में फंसी जांच?
शिकायतकर्ता का आरोप है कि जिला कृषि अधिकारी और ब्लाक स्तर के अधिकारियों ने सेटिंग-गेटिंग के जरिए एक भ्रामक रिपोर्ट तैयार कर ऊपर भेजी, जिससे पूरे प्रकरण को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि हकीकत यह है कि करोड़ों के घोटाले में ग्रामसभा के कार्यों की जांच होने पर पूरी सच्चाई सामने आ सकती है।
प्रवीण सिंह का कहना है कि विभागीय अधिकारियों और प्रधान की मिलीभगत से बिना जांच के कागजों पर भुगतान कर दिया गया, जिससे सरकार की योजनाओं और जनता के पैसे की खुलेआम लूट की गई। उन्होंने सवाल उठाया कि जब तक ब्लाक स्तर पर जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। योगी सरकार की मंशा है कि भ्रष्टाचार पर पूरी तरह लगाम लगे, लेकिन सिंघनी ग्रामसभा के मामले में अधिकारी ही मंशा को धता बता रहे हैं।
प्रवीण सिंह ने शपथपत्र के जरिए जांच की मांग करते हुए कहा है कि यदि निष्पक्ष जांच कराई जाए तो ब्लाक मुख्यालय से लेकर जिला स्तर तक कई बड़े नाम बेनकाब हो जाएंगे। उन्होंने जिलाधिकारी से मांग की है कि इस पूरे घोटाले में ग्रामप्रधान के साथ-साथ विभागीय अधिकारियों और ब्लाक कर्मियों की भूमिका की गहन जांच कर दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। ग्रामसभा सिंघनी का यह मामला अब ग्रामीणों के बीच भी चर्चा का बड़ा विषय बन चुका है। लोग खुलेआम कह रहे हैं कि जब तक ऊपर बैठे अधिकारी इस घोटाले में संलिप्त रहेंगे, तब तक गांवों के विकास के नाम पर भ्रष्टाचार यूं ही फलता-फूलता रहेगा और निष्पक्ष जांच की उम्मीद असंभव होगी।