
•धीरे-धीरे प्रभावित होने लगेगी किसानों के फसलों की उत्पादकता।
•मंडल के किसानों की मिट्टी के 51 हजार नमूनों से 6551 की जांच पूरी।
बस्ती। मडल के बस्ती, संतकबीरनगर व सिद्धार्थनगर जिले की 60 प्रतिशत मिट्टी खराब हो चुकी है। इसका असर फसल उत्पादन पर पड़ रहा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि पचास साल पहले मिट्टी में जिंक सल्फर मैंगनीज आयरन और कापर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी नहीं थी। लेकिन अब मिट्टी की जांच रिपोर्ट ने खतरनाक क्षरण के संकेत दिए हैं।
कृषि विभाग की ओर से वर्तमान खरीफ के सीजन में 51800 मिट्टी के नमूने जांच करने का लक्ष्य मिला है। इसके सापेक्ष अब तक 50965 नमूनों एकत्र कर लिए गए हैं। इनमें से 6551 की जांच पूरी कर रिपोर्ट आ गई है। यह रिपोर्ट किसानों की मिट्टी उर्वरता के लिए खतरनाक संकेत है। मृदा परीक्षण लैब में हर दिन 80 से लेकर 100 नमूनों की जांच की जा रही है। 6551 नमूनों की जांच रिपोर्ट में आर्गेनिक कार्बन, नाइट्रोजन,जिंक और सल्फर की भारी कमी मिली है।
कृषि विभाग की तरफ से इसकी कमी को दूर करने के लिए पोषक तत्वों से किसानों को सचेत कराया जा रहा है, ताकि मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाया जा सके। अधिकांश किसानों को यह पता नहीं होता कि उनकी जमीन में किस पोषक तत्व की कमी है। फसल का उत्पादन प्रभावित होने पर इनके द्वारा यूरिया और डीएपी का अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है। यह मिट्टी की उर्वरता के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी से किसानों की आमदनी पर असर पड़ने लगा है।
किसानों को किया जा रहा मृदा कार्ड वितरित
प्रयोगशाला में जांच करके मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार कर किसानों में वितरित किया जा रहा है। जांच के मुताबिक मंडल में आर्गेनिक कार्बन, नाइट्रोजन, सल्फर, जिंक की प्रमुखता से कमी पायी गई है, साथ ही फास्फोरस तत्व की भी आंशिक कमी मिली है। इसकी वजह से यहां पर उगाई जाने वाली फसलों की उपज निरन्तर घटती जा रही हैं। इसके साथ कई बीमारियों से भी फसलें ग्रसित हो रही है।
मिट्टी हमारी मूक जीवन रेखा है। इसे बचाना अब जरूरी हो गया है। जीवांश कार्बन की कमी पूरी करने के लिए गोबर की खाद, हरी खाद, कम्पोस्ट, पराली को मिट्टी में मिलाकर उसे खेत में सड़ाने से पूरी होगी। नाइट्रोजन की कमी नीम की खली के साथ-साथ अन्य खलियों का उपयोग, हाट मेन्योर, मुर्गी की खाद, वर्मी कम्पोस्ट तथा जीवांश कार्बन पूरा किया जा सकता है। जिंक की पूर्ति के लिए जिंक सल्फेट 35 से 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर डालना होगा। सल्फर की कमी की पूर्ति के लिए सिंगल सुपर फास्फेट, जिप्सम, सल्फर पाउडर तथा दानेदार का प्रयोग कर सकते हैं। अब तक एकत्र किए गए 50995 नमूनों में 6551 नमूने की जांच हो चुकी है।
:संतलाल गुप्ता, सहायक निदेशक, मृदा परीक्षण, बस्ती