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आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी
सर्व धर्म समभाव वाली रही अयोध्या
अयोध्या सप्तपुरियों में एक है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन, बौद्ध कौन नहीं रींझा। सिखों का पवित्र ब्रह्मकुंड है। मस्लिमों के हजरत नूंह का रिश्ता यही से बताया जाता है। शीश पैगंबर की मजार है। जैन धर्म के छह तीर्थांकरों की जन्मभूमि है। बौद्ध दार्शनिक अश्वघोष यहीं पैदा हुए। महात्मा बुद्ध ने कई चतुर्मास यहां व्यतीत किए। रामजन्मभूमि है, हनुमानगढ़ी है, कनक भवन है, दशरथ महल है, अशर्फी भवन है। न जाने कितने ऐसे स्थल है जों अपने में सदियों का इतिहास समेटे हुए है। भारतीय पुरातत्व सूची में एक साथ तीन स्मारकों को दर्ज किया गया है जिसमें पहला मणि पर्वत, दूसरा कुबेर पर्वत व तीसरा सुग्रीव पर्वत है।

सुग्रीव किला :-
मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान राम वानर सेना के साथ लंका पर विजय प्राप्त करके वापस अयोध्या पहुंचे तो महाराजा भरत ने एक किला बनवाया. यह किला श्रीराम और उनके साथ आने वालों के स्वागत के लिए बनाया गया था. बताया जाता है कि यहीं पर सबका भव्य स्वागत हुआ. बाद में श्रीराम ने यह किला अपने परम मित्र सुग्रीव को सौंप दिया. तभी से यह किला सुग्रीव किला के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि यहां पर दर्शन करने आने वालों के सभी शत्रु परास्त हो जाते हैं.

हनुमानगढ़ी किले के बिलकुल पास
यह सुग्रीव किला हनुमानगढ़ी किले के बिलकुल पास है, लेकिन यह उसके मुकाबले कुछ ऊंचाई पर बना हुआ है. श्रीराम जन्मभूमि परिसर के निकट स्थित सुग्रीव किला अपने आप में एक ऐसा ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल है, जिसके दर्शन मात्र से समस्त शत्रुओं का नाश हो जाता है। इस प्राचीन किले का निर्माण महाराजा भरत ने त्रेतायुग में भगवान श्रीराम के लंका विजय के पश्चात अयोध्या लौटने पर उनके स्वागत हेतु रत्नों से करवाया था। तत्पश्चात, अयोध्या नरेश भगवान श्रीराम ने यह स्थान महाराजा सुग्रीव को अयोध्या में रहने के लिए दिया था। तभी से यह प्रसिद्ध स्थान सुग्रीव किला के नाम से जाना जाता है। आज भी इस स्थान की पौराणिकता पुरातत्व विभाग में दर्ज है। अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि परिसर के करीब स्थित सुग्रीव किले का जीर्णोद्धार महाराजा विक्रमादित्य ने कराया था. इस मंदिर में आज भी भगवान श्री राम, माता सीता तथा लक्ष्मण के साथ राजा सुग्रीव की भी पूजा होती है. धार्मिक मान्यता है कि जब प्रभु राम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे तो उनके साथ वानर राज सुग्रीव भी अयोध्या आए थे. श्री राम के स्वागत में महाराजा भरत ने माणियो से यह किला बनवाया था . जिसके बाद इस स्थान को महाराजा सुग्रीव को अयोध्या में रहने के लिए के लिए दे दिया था। तभी से यह प्रसिद्ध स्थान सुग्रीव किला के नाम से जाना जाता है.
भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) द्वारा संरक्षित स्मारकों की श्रेणी में सूचीबद्ध इस किले के संस्थापक आचार्य जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य थे. वे देवरहा बाबा के शिष्य थे. जब राम मंदिर आंदोलन चला तो शुरुआती दिनों में यही सुग्रीव किला विश्व हिन्दू परिषद की गतिविधियों का केंद्र स्थान बना.
योगी ने किया था गोपुरम का अनावरण
उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री आदित्यनाथ ने 20 नवंबर 2024 को अयोध्या का दौरा किया था. इस दौरान सीएम योगी ने सुग्रीव किला में गोपुरम का अनावरण किया था. गौरतलब है कि गोपुरम मंदिरों का मुख्य प्रवेश द्वार होता है. यह हिंदू मंदिरों के स्थापत्य का प्रमुख अंग भी होता है. गोपुरम को मंदिर की सुरक्षा और प्रवेश द्वार का भी प्रतीक माना गया है. कहा जाता है यह पृथ्वी और स्वर्ग के बीच की सीमा को भी दर्शाता है. गोपुरम को आध्यात्मिक ज्ञान और ईश्वर से जुड़ाव का द्वार भी माना जाता है.

आप हाल ही में, अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के लिए सुग्रीव परिसर के मार्ग का निर्माण पूरा हो चुका है. इस मार्ग में राजस्थान के गुलाबी पत्थर लगाए गए हैं और इसमें श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक सुविधाएं शामिल हैं, जैसे कि लॉकर और व्हीलचेयर की सुविधा आदि को बढ़ाया गया है.
लेखक परिचय:-
(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।