
अंतरराष्ट्रीय समाचार(इस्लामाबाद)। अफगानिस्तान में हाल के संघर्षों के बीच जब अफगानी सेना ने बढ़त हासिल की, तो पाकिस्तान ने भारत को इस पूरे घटनाक्रम में शामिल करने की कोशिश शुरू कर दी है।
बुधवार को पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक स्थानीय समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि तालिबान सरकार पर भरोसा करना अब पहले जैसा आसान नहीं रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि तालिबान की नीतियां अब पाकिस्तान के खिलाफ जाती दिख रही हैं और इन फैसलों के पीछे भारत की भूमिका नजर आती है।
आसिफ के मुताबिक, तालिबान इस समय भारत के इशारे पर पाकिस्तान के खिलाफ अप्रत्यक्ष युद्ध लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि तालिबान की नीतियां और फैसले नई दिल्ली से प्रभावित हैं, जिसके कारण दोनों देशों के बीच संघर्षविराम लंबे समय तक नहीं टिक पा रहा।
रक्षा मंत्री ने दावा किया कि अफगानिस्तान की सीमा से पाकिस्तान में होने वाले आतंकी हमलों में हाल के महीनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उनका कहना था कि आतंकवादी समूह लगातार पाकिस्तानी सुरक्षा चौकियों को निशाना बना रहे हैं, लेकिन काबुल प्रशासन ने उन्हें रोकने के लिए ठोस कार्रवाई नहीं की। आसिफ ने बताया कि पाकिस्तान ने कई बार बातचीत और कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से इस मुद्दे को उठाया, पर तालिबान सरकार ने अब तक कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं दी।
उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा हालात में संघर्षविराम बनाए रखना मुश्किल लग रहा है, क्योंकि तालिबान अपने निर्णयों में भारत के प्रभाव में दिखाई देता है। आसिफ ने यह भी जोड़ा कि अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की हालिया भारत यात्रा के बाद काबुल के रुख में बदलाव देखा गया है।
बीते कुछ महीनों से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में लगातार तनाव बढ़ रहा है। इस्लामाबाद कई बार सीमा पार आतंकवाद और टीटीपी जैसे संगठनों की गतिविधियों को लेकर चिंता जता चुका है। पाकिस्तान का कहना है कि इन समूहों के कारण उसके कबायली इलाकों में अस्थिरता बढ़ रही है।
विश्लेषकों का मानना है कि तालिबान और पाकिस्तान के बीच बढ़ता यह तनाव पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा व्यवस्था पर असर डाल सकता है। वहीं, भारत को लेकर पाकिस्तान के आरोप कोई नए नहीं हैं। इस्लामाबाद पहले भी कई बार यह दावा कर चुका है कि भारत अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, हालांकि भारत ने हमेशा इन आरोपों को खारिज किया है।
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