
कूरेभार/सुल्तानपुर। मामला कूरेभार ब्लॉक के भरथीपुर ग्रामसभा से जुड़ा हुआ है, जहां पर बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार के सन्दर्भ में दिनांक 22 मार्च 2025 को शिकायतकर्ता इद्रीश रजा उर्फ गुड्डू ने जिला अधिकारी सुल्तानपुर से पूरे मामले की शिकायत शपथ पत्र के माध्यम से की थी। शिकायती शपथ पत्र को जिलाधिकारी सुल्तानपुर ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए जिला कार्यक्रम अधिकारी को जांच अधिकारी नामित करके 30 दिवस के भीतर जांचकर आवश्यक कार्यवाही का निर्देश दिया था।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि ग्राम प्रधान अनारा देवी, प्रधान प्रतिनिधि अब्दुल जब्बार और तत्कालीन ग्राम सचिव ने आपस में मिलीभगत करके ग्रामसभा भरथीपुर के बजट को विकास के नाम जमकर लूटा है।
शिकायतकर्ता इद्रीश रजा उर्फ गुड्डू के अनुसार प्राथमिक विद्यालय कनौली, ब्लॉक कूरेभार जिला सुल्तानपुर में सरकारी अध्यापिका के पद पर कार्ययत रिजवाना खातून के पति अब्दुल मन्नान सुत सुबराती निवासी भरथीपुर पोस्ट गुप्तारगंज ब्लॉक कूरेभार जिला सुल्तानपुर ने जालसाजी करके फर्जी तरीके मनरेगा में जॉब कार्ड बनवाकर खुद को मजदूर दर्शाया, विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत करके मजदूरी के नाम पर विभाग को हज़ारों रुपए को चूना लगा दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि पत्नी के सरकारी नौकरी में कार्ययत होने की दशा में पति को मनरेगा मजदूरी का लाभ किस नियमावली के तहत दिया जा सकता है।
सामुदायिक शौचालय की मरम्मत व पुताई एवं पंचायत भवन की मरम्मत व पुताई, इंटरलाकिंग, खड़ंजा, बाउंड्रीवाल व आधा-अधूरा नाली निर्माण दिखाकर मरम्मत के नाम पर तथा विद्यालय के मलबा ढुलाई के नाम पर लाखों रुपयों का भुगतान करा लिया गया है। हैंडपंप मरम्मत एवं रेबार के नाम पर बड़े पैमाने पर लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा हुआ है। कुछ काम तो ऐसे भी हुए हैं जो सरकारी पेपर में तो पूरे हुये हैं लेकिन हकीकत में उस काम की आजतक शुरुआत भी नहीं हुई है। करीब 12 लाख रुपये के भ्रष्टाचार से संबंधित जांच की शिकायत होने व सम्पूर्ण साक्ष्य उपलब्ध कराने के बाद भी मामले को गम्भीरता से ना लेने का आरोप लग रहा है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी सुल्तानपुर ने शिकायतकर्ता की शिकायत पर सच्चाई जानने का प्रयास भी नहीं किया और अंतिम तिथि बीत जाने के बाद भी ग्रामसभा में स्थलीय जांच करने नहीं पहुंचे। शिकायतकर्ता के अनुसार जांच की अंतिम तिथि 22 अप्रैल 2025 तो बीत ही गई है। अगर जांच भी हुई तो जांच महज खानापूर्ति ही रहेगी। इससे सरकारी धन के अपव्यय का गम्भीर आरोप लगता है।