लखनऊ। दीन दयाल उपाध्याय अन्त्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। एन०आर०एल०एम० का प्रारम्भ पूर्व में संचालित स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना की कमियों जैसे कि ग्रामीण परिवारों का असामान्य गठन, सदस्यों का अनुपयुक्त क्षमताबर्धन, बैंक द्वारा पर्याप्त ऋण वितरण का अभाव एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन करने हेतु सक्षम-प्रोफेशनल्स का अभाव इत्यादि को दुरुस्त करते हुये किया गया। एन०आर०एल०एम० भारत सरकार द्वारा संचालित बड़े पैमाने पर गहन रूप से समुदाय द्वारा संचालित गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम है।
उत्तर प्रदेश में इस योजना के क्रियान्वयन हेतु उ०प्र० राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की स्थापना ग्राम्य विकास विभाग के संरक्षण में एक स्वायत्त संस्था के रूप में की गयी जिसका पंजीकरण सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के अन्तर्गत किया गया है। यह योजना उ०प्र० सरकार के ग्राम्य विकास विभाग द्वारा संचालित की जाती है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उ०प्र० राज्य में रह रहें ग्रामीण गरीब परिवारों की कम से कम एक महिला सदस्य को समूह एवं अन्य सामुदायिक संस्था के माध्यम से संगठित कर उन्हें स्वावलम्बी बनाना है। विविध आजीविका कार्यकलापों को ध्यान में रखते हुये यह मिशन 03 आधारों पर कार्य करता है, जिसमें गरीबों के लिये विद्यमान आजीविका विकल्पों में वृद्धि करना, बाहरी क्षेत्रों में रोजगार के अनुसार उनका कौशल विकास करना और स्वरोजगार एवं उद्यमशीलता (लघु उद्यमों के लिये) को प्रोत्साहित करना है। इस योजना के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के एक करोड़ चार लाख ग्रामीण गरीब परिवारों को दस लाख स्वयं सहायता समूह, एक लाख ग्राम संगठन एवं तीन हजार संकुल स्तरीय संगठनों में संगठित करना है। मिशन अन्तर्गत बजट व्यवस्था भारत सरकार द्वारा 60 प्रतिशत एवं राज्य सरकार का 40 प्रतिशत के अनुपात में की जाती है।
उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का उद्देश्य है कि ग्रामीण गरीब महिलाओं को स्वयं सहायता समूह एवं समूहों को ग्राम संगठन एवं संकुल स्तरीय संघ के रूप में संगठित करना, गठित स्वयं सहायता समूहों एवं उनके संगठनों का प्रशिक्षण एवं क्षमता वर्धन करना, ग्रामीण गरीब परिवारों का सामाजिक एवं आर्थिक विकास कर जीवन-यापन का बेहतर अवसर प्रदान करना, समूहों एवं उनके संगठनों की आवश्यकताओं एवं जीविकोपार्जन हेतु मिशन की तरफ से रिवाल्विंग फण्ड एवं सामुदायिक निवेश निधि प्रदान करना, मिशन के अन्तर्गत गठित स्वंय सहायता समूहों को बैंक से कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवाना प्रमुख है।
उ०प्र० राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का क्रियान्वयन इन्टेन्सिव रणनीति के अन्तर्गत राज्य के 75 जनपदों के 826 विकास खण्डों में किया जा रहा है। वर्तमान में मिशन के अंतर्गत 98 लाख से अधिक ग्रामीण क्षेत्र के परिवार की महिलाओं को कुल 8.93 लाख स्वयं सहायता समूहों, 62,837 ग्राम संगठनो एवं 3,272 संकुल स्तरीय संघों से आच्छादित किया गया है।
आजीविका संबंधित गतिविधियों को प्रोत्साहित करने हेतु माननीय प्रधानमंत्री जी. भारत सरकार की प्रेरणा एवं उपमुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में सतत् विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में मिशन निरन्तर प्रगति की तरफ अग्रसर है, मिशन के अंतर्गत अभी तक कुल 7,32,409 स्वयं सहायता समूहों को 1213 करोड़ रूपये रिवालिबंग फण्ड, 6,07,965 स्वयं सहायता समूहों को सामुदायिक निवेश निधि के रूप में 7095 करोड़ रूपये की सामुदायिक धनराशि अवमुक्त की गयी है।
उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अतर्गत ग्राम्य स्तर पर महिला स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय समावेशन के माध्यम से विविधीकृत आजीविका संबंधित गतिविधियों को प्रोत्साहित करने हेतु विभिन्न बैंकों से समन्वय स्थापित करते हुए समूह स्तर पर कम ब्याज पर त्वरित, आवश्यकता अनुसार मांग के अनुरूप समयबद्ध ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा रही है। प्रदेश में कुल 8,40,187 लाख स्वंय सहायता समूहों के सदस्यों को रूपये 9068 करोड़ का विभिन्न बैंकों से कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराते हुए उनके रोज़गार में सहायता दी गयी है। प्रदेश सरकार ग्रामीण महिलाओं को समूहांें के माध्यम से आत्मनिर्भर बना रही है।
