
बीजिंग। न्यूयार्क, लॉस एंजेल्स, वाशिंगटन और शिकागो समेत कई अमेरिकी शहरों में विरोध-प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने इमिग्रेंट्स पर हिंसक प्रहार, जबरन नेशनल गार्ड्स को शहरों में भेजने और सीमा शुल्क वृद्धि का विरोध किया। राष्ट्रपति ट्रम्प के खिलाफ यह सबसे बड़ा प्रदर्शन है।
आयोजकों का कहना है कि प्रदर्शनकारियों की संख्या लाखों से अधिक है। न्यूयार्क में एक लाख से अधिक लोगों ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। स्थानीय पुलिस ने कहा कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रूप से चला। इस दौरान किसी प्रदर्शनकारी को गिरफ्तार नहीं किया गया।
इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले मैनहट्टन के नागरिक डेवी काबोनिया ने मीडिया को बताया कि अमेरिकी कृषि उत्पाद बाहर नहीं बेचे जा सकते और किसान दिवालिया हो रहे हैं। वस्तुओं के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। स्थिति बहुत खराब है। कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में 25 हजार लोगों ने विरोध-प्रदर्शन में भाग लिया।
उन्होंने अमेरिकी सरकार की आव्रजन, स्वास्थ्य, शिक्षा व व्यापार नीतियों का विरोध किया। आयोजकों ने बताया कि अमेरिका के लाखों लोगों ने 2,700 से अधिक शहरों व कस्बों में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।
राष्ट्रपति ट्रम्प के कार्यकाल में हुआ यह तीसरा बड़ा प्रदर्शन है। खास बात यह है कि इस वक्त अमेरिका में शटडाउन लगा हुआ है। कई सरकारी सेवाएं ठप हैं।
ट्रम्प प्रशासन के ताकतवर रवैये को लेकर संसद और न्यायपालिका के साथ टकराव बढ़ गया है। ट्रम्प वीक एंड पर अपने फ्लोरिडा स्थित घर मार-ए-लागो में थे। एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा, वे मुझे राजा कह रहे हैं, लेकिन मैं कोई राजा नहीं हूं। बाद में उनकी सोशल मीडिया टीम ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें ट्रम्प को राजा के रूप में दिखाया गया था।
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