
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई मंत्रिमंडल बैठक में प्रदेश की जनता को बड़ी राहत देने वाला निर्णय लिया गया है। अब उत्तर प्रदेश में पारिवारिक सदस्यों के बीच संपत्ति विभाजन विलेख के पंजीकरण पर देय स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्री शुल्क की अधिकतम सीमा पाँच-पाँच हजार रुपये कर दी गई है।
स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने बताया कि यह निर्णय लोकहित में लिया गया है ताकि संयुक्त या अविभाजित संपत्ति के सहस्वामी बिना आर्थिक बोझ महसूस किए आसानी से विभाजन विलेख का रजिस्ट्रीकरण करा सकें। उनके अनुसार, नई व्यवस्था से परिवारों में संपत्ति का सौहार्दपूर्ण बँटवारा सरल और शीघ्र हो सकेगा और साथ ही प्रदेश में संपत्ति संबंधी मुकदमों में उल्लेखनीय कमी आएगी।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि अब तक विभाजन विलेख पर संपत्ति के मूल्य के अनुसार शुल्क देय होता था, जिससे लोग अक्सर रजिस्ट्री कराने से बचते थे। लेकिन पाँच हजार रुपये की अधिकतम सीमा तय होने के बाद बड़ी संख्या में लोग संपत्ति विभाजन के विलेख का पंजीकरण कराने के लिए आगे आएँगे।
उन्होंने यह भी बताया कि तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में पहले से ऐसी व्यवस्था लागू है, जहाँ इस कदम से पारिवारिक विवादों का सहज समाधान हुआ है। उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि इस फैसले से न केवल परिवारों में विवादों में कमी आएगी, बल्कि विभाजित संपत्ति का नामांतरण और खतौनी का अद्यतन समय पर हो सकेगा। साथ ही भविष्य में संपत्ति के हस्तांतरण और अन्य प्रयोजनों के लिए बाजार में इसकी उपलब्धता भी आसान हो जाएगी।