
-खुद की डॉक्टरी और अधूरा इलाज बना बीमारी बढ़ने की बड़ी वजह
खुद न लें एंटीबायोटिक, मर्ज बिगड़ने पर 15 दिन में ठीक हो रही है खांसी
बस्ती। बदले मौसम से वायरल बुखार के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। इसमें खुद की डॉक्टरी भारी पड़ रही है। एंटीबायोटिक दवाएं लेने और अधूरे इलाज से बुखार-खांसी को ठीक होने में दोगुना समय लग रहा है। कुछ लोगों की खांसी ठीक होने में 15 से अधिक दिन लग रहे हैं। जिला अस्पताल में दो सप्ताह में वायरल बुखार के मरीजों की संख्या दोगुने से ज्यादा हो गई है।

जिला अस्पताल के डॉ. रामजी सोनी ने बताया कि ओपीडी में रोजाना औसतन 750 मरीज आ रहे हैं। इनमें वायरल बुखार के मरीजों में मांसपेशियों, पैरों और सिर में दर्द हो रहा है। जल्दी थकान हो रही है। जुकाम-खांसी भी है। इसके लक्षण प्रतीत होने पर विशेषज्ञ से दवा लेने पर 3-5 दिन में ये ठीक हो रहा है। खुद से एंटीबायोटिक या झोलाछाप के इलाज से स्थिति बिगड़ रही है। कई बार झोलाछाप
एस्टेराइड देते हैं, जिससे कुछ घंटों में ही आराम मिलने लगता है। मर्ज पूरी तरह से ठीक नहीं होती। खांसी को तो ठीक होने में 15 से 20 दिन लग रहे हैं। वायरल बुखार में दवाएं छोड़ने पर मधुमेह और उच्च रक्तचाप भी बिगड़ रहा है। इससे मरीजों को घबराहट, पसीना आने की दिक्कत हो रही है। ऐसे में मधुमेह और उच्च रक्तचाप की दवाएं बंद न करें।

जेके हॉस्पिटल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एसके गौड़ ने बताया कि ओपीडी में आने वाले 60 फीसदी बच्चों में वायरल बुखार और पीलिया मिल रहा है। बच्चों में ठंड के साथ तेज बुखार, जुकाम-खांसी, पेट में दर्द, उल्टियों की शिकायत मिल रही है। हाथ-पैर, गले में दर्द की भी समस्या है। इससे नींद प्रभावित होने से चिड़चिड़ापन भी है। जिसके कारण बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है। कई तो झोलाछाप के इलाज के बाद इलाज कराने के बाद आते है, जिनकी स्थिति काफी बिगड़ चुकी थी।
इन बातों का रखें ध्यान
पानी को उबालकर पीएं, खांसी-जुकाम होने पर मास्क लगाएं।
बच्चों को बड़ी बोतल भरकर दें, स्कूली टंकी के पानी से बचाएं।
गले-कटे हुए फल और बासी भोजन न खाएं। ठंडी सामग्री से बचें।
रात को एसी का तापमान बढ़ा लें, बुखार आने पर पैरासिटामोल लें।
खांसी-खरास में गुनगुने पानी में सेंधा नमक डाल गरारे करें।