
मुंबई। श्रावण मास का आगमन होते ही संपूर्ण भारत में भक्ति और श्रद्धा का वातावरण छा गया है। मंदिरों में घंटियों की गूंज, शिवालयों में जलाभिषेक की लंबी कतारें और भक्तों की आस्था से वातावरण शिवमय हो उठा है।
इस पवित्र मास की धार्मिक और ज्योतिषीय महत्ता पर प्रकाश डालते हुए ज्योतिष सेवा केंद्र, मुंबई के संस्थापक एवं ख्यातिप्राप्त ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी ने कहा—
“श्रावण मास केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और आत्मशुद्धि का सशक्त अवसर है।”
ग्रहों की विशेष स्थिति और शिव उपासना का महत्व
पंडित शास्त्री जी के अनुसार श्रावण मास में ग्रहों की विशेष स्थिति व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। विशेष रूप से सोमवार के दिन की गई शिव उपासना से चंद्र दोष, मानसिक तनाव और पारिवारिक कलह शांत होते हैं।
उन्होंने श्रद्धालुओं को सलाह दी कि—
“श्रावण में शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना और ‘ॐ नमः शिवाय’ का नियमित जाप अत्यंत फलदायी होता है।”
इस पावन मास में दूध, जल, बेलपत्र और शहद से शिवलिंग का अभिषेक करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। साथ ही सोमवार व्रत, शिवपुराण श्रवण और शिव कथा का आयोजन मनोकामनाओं की पूर्ति का माध्यम बनता है।
श्रावण: शिव तत्व को जीवन में उतारने का समय
पंडित शास्त्री जी ने कहा कि—
“श्रावण मास केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, यह शिव के उस व्यापक तत्व को जीवन में आत्मसात करने का समय है, जो कल्याण, क्षमा, संयम और साहस का प्रतीक है।”
उन्होंने इसे एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि शिवमय जीवन का संकल्प बताया।
देशभर में प्रवचनों और अनुष्ठानों के माध्यम से आध्यात्मिक मार्गदर्शन
उल्लेखनीय है कि पंडित अतुल शास्त्री जी ने मुंबई सहित देश के अनेक हिस्सों में श्रावण मास के अवसर पर धार्मिक प्रवचन, शिव महिमा कथाएं और विशेष पूजा-अनुष्ठानों का आयोजन कर भक्तों को गहन आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान किया है।