
(विश्व हृदय दिवस विशेष 29 सितंबर 2025)

लेखक – डॉ. प्रितम भि. गेडाम।
विचार मंथन। हृदय रोग विश्व भर में तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या हैं। हमारे देश में तो यह चरम पर हैं, एक-दो दशक पहले तक यह समस्या केवल अमीर बुजुर्गों के हिस्से आनेवाली मानी जाती थी, परंतु देश में अब इस बीमारी ने अत्यधिक तेजी से पैर पसारे हैं। बच्चे और जवान भी इसके शिकार हो रहे हैं। देश में प्रदूषण और मिलावटखोरी ने समस्त जीवसृष्टि के लिए खतरा बढ़ाया है और मनुष्य का आलस्य, लालच, निकृष्ट दर्जे का खाना, आधुनिक जीवनशैली व मानसिक तनाव ने बीमारियों को मौत के तौर पर आमंत्रित किया हैं। देश में खुद युवा अवस्था में हृदय रोग चिकित्सक भी हृदय रोग से जान गंवाने की घटनाएं हो रही हैं। इस साल 2025 के लिए विश्व हृदय दिवस की थीम है “एक भी धड़कन न चूकें।” यह थीम हमारे हृदय स्वास्थ्य को गंभीरता से लेने के लिए एक सशक्त अनुस्मारक है, जो हृदय रोग के प्रारंभिक चेतावनी संकेतों के प्रति सक्रिय रहने और जाँच में देरी न करने, स्वस्थ आदतों और समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप पर जोर देता हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार,हृदय रोग दुनिया भर में मृत्यु का प्रमुख कारण हैं। 2022 में, अनुमानित 19.8 मिलियन लोगों की हृदय रोग से मृत्यु हुई, जो वैश्विक स्तर पर होने वाली कुल मौतों का लगभग 32 प्रतिशत हैं। इनमें से 85 प्रतिशत मौतें दिल के दौरे और स्ट्रोक के कारण हुईं। संयुक्त राज्य अमेरिका में हर 34 सेकंड में एक व्यक्ति हृदय रोग से मरता है और 2023 में, हृदय रोग से 9,19,032 लोगों की मृत्यु हुयी, अर्थात हर तीन मौतों में से एक। अधिकांश हृदय रोगों को तंबाकू सेवन, अस्वास्थ्यकर आहार (नमक, चीनी और वसा में उच्च) और मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता, द्वेष, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, चिंता, अवसाद, मिलावटखोरी, शराब का हानिकारक सेवन और वायु प्रदूषण जैसे व्यवहारिक और पर्यावरणीय जोखिम कारकों को संबोधित करके रोका जा सकता हैं। हृदय रोग का जल्द से जल्द पता लगाना महत्वपूर्ण है ताकि परामर्श और दवा के साथ प्रबंधन शुरू किया जा सकें।
दिल्ली के आकाश हेल्थकेयर द्वारा किए गए पाँच-वर्षीय अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 महामारी के बाद से हृदय रोग के मामले दोगुने हो गए हैं, और आपातकालीन मामलों में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई हैं। 2020 से 2023 के बीच भारत के अस्पतालों से प्राप्त आँकड़ों से पता चलता है कि हृदय रोग के 50 प्रतिशत मरीज़ 40 वर्ष से कम आयु के हैं, जो कि बेहद ही गंभीर विषय हैं। पिछले 4-5 वर्षों में युवाओं में इसके मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई हैं। उच्च रक्तचाप (24 प्रतिशत), मधुमेह (10 प्रतिशत), और डिस्लिपिडेमिया (39 प्रतिशत) जैसे जोखिम कारक शामिल हैं। इसके अलावा, धूम्रपान (36 प्रतिशत), अत्यधिक शराब का सेवन (16 प्रतिशत), अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि (11 प्रतिशत) और खराब आहार गुणवत्ता (12 प्रतिशत), व्यक्तिगत एवम कार्य-संबंधी तनाव, मनोसामाजिक कारक, और जीवन की घटनाएँ (32 प्रतिशत) जो अंतःसंवहनी घनास्त्रता एवम परिणामस्वरूप, हृदय संबंधी घटनाओं के जोखिम को बढ़ाती हैं। इसके अलावा, आनुवंशिक कारक और सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ स्थिति को अधिक जटिल बना देती हैं। दुनिया भर में तंबाकू से संबंधित हृदय रोग से 1.9 मिलियन मौतें होती हैं।
गुजरात के जामनगर शहर के 41 वर्षीय जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव गांधी का उनके आवास पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। रिपोर्टों के अनुसार, डॉ. गांधी ने अपने करियर में 16,000 से ज़्यादा हृदय शल्य चिकित्साएँ की थी। अभी हाल ही में, 39 वर्षीय हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. ग्रैडलिन रॉय का चेन्नई के एक अस्पताल में ड्यूटी के दौरान अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। एक 39 वर्षीय दंत चिकित्सक, फिटनेस के प्रति उत्साही और गोवा में 32 किमी की मैराथन में भाग लेने वाले की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई। फिट और तंदरुस्त रहनेवाले फिल्मी सेलिब्रेटी पुनीत राजकुमार, सिद्धार्थ शुक्ला, राजू श्रीवास्तव, गायक केके और अभी 42 वर्षीय शेफाली जरीवाला की मृत्यु का कारण भी हृदय विकार ही रहा। कुछ माह पूर्व महाराष्ट्र के कोल्हापुर के एक प्रसिद्ध युवा कुश्ती खिलाडी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। कर्नाटक में एक 28 वर्षीय व्यक्ति की क्रिकेट मैच में जीत का जश्न मनाते समय और एक शादी समारोह में मंगलसूत्र बांधने के तुरंत बाद 25 वर्षीय दूल्हे की मृत्यु हो गई। विभिन्न हिस्सों में व्यायाम के दौरान भी युवाओं की मृत्यु के मामले सामने आए हैं।
अब तो छोटे-छोटे स्कूली बच्चे भी हृदय विकार से जान गंवाने की खबरें अत्यधिक बढ़ गयी हैं। रिपोर्ट बताती हैं कि, देश में हर साल 14 साल से कम उम्र के सैकड़ों बच्चों की दिल का दौरा पड़ने या हृदय रोग से मृत्यु होती हैं। राजस्थान के सीकर स्थित एक स्कूल में 9 साल की एक बच्ची की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। अलीगढ़ के एक 14 साल के लड़के की स्कूल की खेल प्रतियोगिता की तैयारी के दौरान दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। कुछ दिन पहले ही, महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक 10 साल का बच्चा अपने घर के सामने खेल रहा था, अचानक तबीयत खराब होने पर, वह घर गया और अपनी माँ से पिने के लिए पानी माँगा और माँ की गोद में ही दम तोड़ दिया। इससे पहले, महाराष्ट्र के नासिक में 6 साल की एक स्कूली बच्ची की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी।
वायु प्रदूषण के कारण हर साल 7 मिलियन लोगों की मृत्यु होती हैं, तथा इस्केमिक हृदय रोग इन मौतों के प्रमुख कारणों में से एक हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान हैं, कि हर साल लगभग 4.2 मिलियन असामयिक मौतें बाहरी वायु प्रदूषण के कारण होती हैं। वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोग; जो सड़कों, रेलमार्गों, बंदरगाहों या औद्योगिक क्षेत्रों के पास रहने या काम करने वाले लोग, जंगल की आग के धुएँ के संपर्क में आने वाले लोग, धूम्रपान न करने वाले वयस्कों और बच्चों पर अप्रत्यक्ष धूम्रपान के धुएँ के संपर्क में आने से स्वास्थ्य प्रभाव हानिकारक और असंख्य हैं। अप्रत्यक्ष धूम्रपान के संपर्क में आने से हृदय रोग और स्ट्रोक, फेफड़ों का कैंसर, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम, गंभीर अस्थमा के दौरे और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। कई अध्ययनों ने वायु प्रदूषण और हृदय स्वास्थ्य के बीच एक स्पष्ट संबंध स्थापित किया है। जब लोग प्रदूषित हवा में साँस लेते हैं, तो उसके सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक जाकर रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं। इससे हृदय संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं: रक्तचाप में वृद्धि, हृदय गति में गड़बड़ी, दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ना, एथेरोस्क्लेरोसिस, और असुरक्षित आबादी पर प्रभाव।
हृदय विकार के कारण तेजी से होनेवाली असमय मौतों की गति को अधिक जागरूकता, बेहतर जाँच और जीवन रक्षक उपायों की बढ़ती उपलब्धता द्वारा काफी हद तक कम करने में कारगर साबित हो सकते हैं। आधुनिक जीवनशैली अगर हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं तो ऐसी जीवनशैली को त्यागना ही बेहतर हैं।
सरकार ने देश में व्यापक पैमाने पर फैले प्रदूषण, मिलावटखोरी और अस्वच्छता पर ठोस कदम उठाने चाहिए। संतुलित आहार लेना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। फलों और सब्जियों, प्रोटीन, स्वस्थ वसा, विटामिन और खनिजों का संतुलन बनाए रखें। जीवनशैली में रोजाना 30 मिनट व्यायाम को शामिल करके शुरुआत करें। कोई भी शारीरिक गतिविधि, हेल्दी हॉबी अच्छे हृदय स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं, अपनी शारीरिक गतिविधि बढ़ाएँ और स्वस्थ वजन बनाए रखें। नमक, चीनी और वसा का सेवन हमेशा कम हों। हर रात 7-8 घंटे की पर्याप्त नींद लें। तंबाकू, शराब या अन्य कोई भी नशा हो, तुरंत छोड़ें। तनाव कम करने वाली गतिविधियाँ रोजमर्या के क्रम में शामिल करें। जीवन में आनेवाली समस्याएं समझदारी और विवेक से हल करें, तनाव न लें। अपने व्यस्त समय से रोजाना खुद के लिए थोडासा वक्त निकालकर हसी-खुशी के पल जियें, कभी अपना बचपना भी जियें। जीवन के हर पल खुशी के साथ जियें।