
कानपुर।
शहर में फर्जीवाड़े का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें ट्रैफिक पुलिस के एक दरोगा ने खुद को एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) अधिकारी बताकर फर्जी टीम गठित की और घरों में छापेमारी कर लाखों की वसूली की।
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि दरोगा अजीत यादव ने फर्जी एसटीएफ और एसडीएम टीम बनाकर कानपुर के विभिन्न इलाकों में आम लोगों को डराया-धमकाया और अवैध रूप से वसूली की।कई महीनों तक यह गैंग सक्रिय रहा और खुद को सरकारी अधिकारी बताकर छापे मारता रहा।
कानपुर के रावतपुर इलाके में रहने वाले एक व्यापारी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके घर में सात-आठ लोग एसटीएफ के नाम पर आए थे। उन्होंने व्यापारी के परिवार पर अनैतिक कार्य करने का आरोप लगाया और फिर मारपीट की। इसके बाद, आरोपियों ने व्यापारी से ऑनलाइन डेढ़ लाख रुपये की वसूली की। व्यापारी की शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू की और कुछ ही देर बाद चौराहे पर दो कारों में सवार पांच आरोपियों को पकड़ लिया. इन आरोपियों ने व्यापारी के घर में घुसकर एसटीएफ के नाम पर वसूली की थी.
कानपुर पुलिस ने इस गैंग के पांच सदस्य, जिनमें पुलिस की पीआरबी शाखा की महिला दारोगा वर्षा चौहान, होमगार्ड सिपाही अरविंद शुक्ला, विनय यादव, राजीव दीक्षित और अनुज कुमार को गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, इस गैंग का मुख्य लीडर अजीत यादव फिलहाल फरार है, जिसकी तलाश में पुलिस टीमें लगाई गई हैं।
कानपुर पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह गिरोह योजनाबद्ध तरीके से काम करता था। ये लोग सरकारी पहचान पत्रों की नकल कर फर्जी दस्तावेजों के साथ कार्रवाई का नाटक करते और लोगों से पैसे ऐंठते थे।
फिलहाल पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ के आधार पर अन्य संभावित पीड़ितों और ठिकानों की जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि मुख्य आरोपी को भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा और इस मामले में कठोर कार्रवाई की जाएगी।