
•ग्रामीणों की मांग सरकारी धन की हो रिकवरी।
सुल्तानपुर। भ्रष्टाचारियों की फौज में शामिल ग्राम पंचायत बरासिन प्रधान के खिलाफ दो जांच अभी चल रही है। जांच अधिकारी प्रधान को क्लीन चिट देने के प्रयास में जुटे हुए हैं लेकिन मामला उलझता चला जा रहा है। गांव के निवासी बी.के शुक्ला ने जिलाधिकारी सुल्तानपुर से मिलकर बरासिन प्रधान पर लाखों के घोटाले का आरोप लगाते हुए जांच के लिए सशपथ प्रार्थना पत्र दिया।
जिलाधिकारी से अनुरोध किया कि जांच सुव्यवस्थित होनी चाहिए जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया जांच अच्छी तरह से होगी। ग्राम प्रधान द्वारा वृक्षारोपण इंडिया मार्का हैंड पंप मरम्मत और रिबोर के नाम पर लाखों रुपए का घोटाला किया गया। वहीं बांध निर्माण, नाली, खडजा निर्माण आदि विकास कार्यों के नाम लाखों रुपए सरकारी धन का आहरण कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप जिलाधिकारी को दिए प्रार्थना पत्र में लगाया गया है।
बंधा निर्माण के संबंध में ग्राम वासियों का कहना है कि अशोक शुक्ला के चक में बंधा निर्माण के नाम पर पैसे का आहरण प्रधान द्वारा कर लिया गया है। ग्राम पंचायत में अशोक शुक्ला नाम के तीन लोग हैं दो लोगों के नाम जमीन ही नहीं है जिनके चक जमीन में बंधा निर्माण के नाम पर पैसे निकाले गए उनके जमीन पर बंधा बना ही नहीं है। वरासिन ग्राम पंचायत में इस तरीके के तमाम चमत्कार हो रहे हैं।
गांव के कुछ बुद्धिजीवी वर्गों के लोग नाम ना लिखने का अनुरोध करते हुए बताते हैं कि ग्राम प्रधान द्वारा 2–3 लोगों को जांच से निपटने और अधिकारियों को मैनेज करने के लिए 15- 20 हजार रुपये महीने पर आदमी पाल रखा है जो दिन भर विकास भवन और विकासखंड का चक्कर लगाते रहते हैं।
पहले शिकायतकर्ता संजय प्रजापति से संपर्क करने पर बताया कि तालाब का पट्टा हमारे नाम जब से हुआ है इसमें मछली पाली गई है। तालाब में हमेशा पानी भरा रहा है, जब तालाब का पानी खाली नहीं हुआ तब प्रधान ने कैसे इस तालाब को अमृत सरोवर बनाकर लाखों रुपए का गबन कैसे कर लिया।
संजय प्रजापति ने कहा कि हम जिलाधिकारी से मिलकर शपथ पत्र देंगे हमने तालाब का पानी खाली नहीं किया तो अमृत सरोवर कैसे बन गया। स्थानीय लोगों का कहना है रोजगार सेवक प्रधान के घर का ही हैं। ग्राम पंचायत में प्रधान द्वारा चमत्कारिक कार्य किए जाने के क्रम में शिवप्रसाद यादव सुत अभिलाष यादव को आवास का लाभ दिए जाने का है।
गौरतलब हो ग्राम पंचायत वरासिन में शिवप्रसाद सुत राम अभिलाष नाम का कोई व्यक्ति है ही नहीं तब भी आवास निर्माण कराकर पैसे का आहरण कर लिया गया है जांच का विषय है। मनरेगा के कार्यों में मजदूरों के एंट्री में पेसिं्टग करके फर्जी मजदूरों की एंट्री दिखाकर अधिकारियों को गुमराह किया जाता है। ग्राम प्रधान द्वारा स्कूलों में बनाए गए शौचालय घटिया किस्म के हैं जो हमेशा बंद रहते हैं। एक स्कूल की बाउंड्री के नाम पर पैसे का आहरण हुआ है, जबकि बाउंड्री पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हुई है।
जांच अधिकारी चांदी का जूता पाने के बाद नीति, नियति बदलकर जांच को प्रभावित करते हुए भ्रष्टाचारियों को बचाने के प्रयास करने लगते हैं। सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को चिढाते हुए जांच अधिकारी सरकार की नीतियों को पलीता लगा रहे हैं।