
बस्ती। निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों की संभावित हड़ताल को तोड़ने के लिए बिजली प्रबंधन ने कमर कस ली है। जानकारों का कहना है कि डिस्कॉम स्तर से अधिकारियों, कर्मचारियों व संविदा कर्मियों की सूची तैयार करने के लिए मातहतों को निर्देशित किया गया है। इसी के साथ हड़ताल की दशा में विद्युत व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था पर भी विचार किया जा रहा है।
उपकेंद्रों का संचालन बनाए रखने के साथ ही हड़ताल के दौरान होने वाले फॉल्ट की मरम्मत के लिए कुशल व अकुशल कर्मियों की जरूरत हड़ताल के दौरान पड़ेगी। पिछली हड़ताल को तोड़ने में कामयाब रहे प्रबंधन के हौसले काफी बढ़े हुए बताए जा रहे हैं, वहीं बिजली कर्मियों के संगठन आर पार के मूड में हैं। संगठन से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि संयुक्त संघर्ष समिति का गठन जिलों में होने के बाद आंदोलन में तेजी आ सकती है।
अभियंता संघ के क्षेत्रीय सचिव पंकज कुमार का कहना है कि निजीकरण के लिए उतावली सरकार के किसी आश्वासन पर अब भरोसा करना मुश्किल हो रहा है। निजीकरण से जहां एक ओर विद्युत कर्मियों की पदावनति व छंटनी हो जाएगी, वहीं उपभोक्ताओं का बड़े पैमाने पर उत्पीड़न शुरू हो जाएगा। एक अनुमान के अनुसार बिजली का रेट सीधे तीन गुना हो जाएगा। देश की आबादी के लगभग 70 प्रतिशत परिवार के घरों में अंधेरा छा जाएगा। अगर आंदोलन की जरूरत पड़ी तो इस बार जनता को भी आगे आना होगा।
कहा कि पॉवर कॉरपोरेशन प्रबंधन झूठ के सहारे अरबों रुपये की संपत्ति कुछ चुनिंदा घरानों को कौड़ियों के दाम पर बेचना चाहता है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब से प्रबंधन आईएएस के हाथों में गया है, निगम का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रबंधन घाटे का जो आंकड़ा प्रस्तुत कर रहा है वह पूरी तरह भ्रामक है।
अभियंताओं की दगाबाजी से नाकाम हुई थी पिछली हड़ताल:-
दो साल पूर्व बिजली विभाग में हुई हड़ताल कुछ अभियंताओं की दगाबाजी के कारण नाकाम हो गई थी। अभियंताओं से लेकर संविदा कर्मियों तक के हड़ताल पर चले जाने के कारण शहर से लेकर गांव तक की विद्युत व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई थी। प्रबंधन की ओर से की गई वैकल्पिक व्यवस्था नाकाम हो गई थी। इसके बाद प्रबंधन ने स्थानीय प्रशासन की मदद से अभियंताओं पर दबाव बनाना शुरू किया। उनके खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं करने का आश्वासन दिया गया। इसके बाद प्रदेश में काफी संख्या में अभियंता अघोषित रूप से काम पर लौट आए। बस्ती जिले में चार अभियंताओं का नाम सामने आया था। अभियंताओं के सहयोग से हड़ताल को नाकाम करने में प्रबंधन कामयाब रहा।