
लखनऊ। हर वर्ष 8 मई को अंतर्राष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है “थैलेसीमिया के लिए एक साथ: समुदायों को एकजुट करना, रोगियों को प्राथमिकता देना”। इसका उद्देश्य थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों को बेहतर देखभाल और समर्थन प्रदान करने के लिए सभी हितधारकों को एक साथ लाना है।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, श्री पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार थैलेसीमिया की रोकथाम और प्रभावी प्रबंधन के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
श्री शर्मा ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 2617 थैलेसीमिया रोगी पंजीकृत हैं, और सरकार की ओर से मुख्यमंत्री राहत कोष सहित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जरूरतमंद मरीजों को बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) में सहायता दी जा रही है। प्रदेश में एसजीपीजीआई, लखनऊ और चाइल्ड पीजीआई, नोएडा में बीएमटी की सुविधा उपलब्ध है, जिससे मरीजों को उन्नत चिकित्सा सुविधा मिल रही है।
मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, डॉ. पिंकी जोवेल ने बताया कि प्रदेश के 26 जनपदों में कुल 29 थैलेसीमिया डे-केयर सेंटर कार्यरत हैं। इन केंद्रों पर आवश्यक चिकित्सा सेवाएं जैसे आयरन चिलेशन, ल्यूकोडिप्लीशन, आवश्यक जांचें, प्रचार-प्रसार, और ब्लड डोनेशन आउटरीच कैंप आयोजित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही, थैलेसीमिया वाहक अभिभावकों की जानकारी भारत सरकार के सिकल सेल पोर्टल पर मैप की गई है, जिससे भविष्य में रोग की रोकथाम और सटीक योजना बनाने में मदद मिलेगी।
डॉ. सुर्यान्शु ओझा, महाप्रबंधक (ब्लड), एनएचएम ने कहा कि थैलेसीमिया एक आनुवांशिक रक्त विकार है, जिसमें शरीर में हीमोग्लोबिन का उत्पादन नहीं होता, जिसके कारण रोगी को गंभीर एनीमिया हो जाता है। भारत में हर साल 10,000 से 15,000 बच्चे थैलेसीमिया मेजर के साथ जन्म लेते हैं।
डॉ. नीता राधाकृष्णन, विभागाध्यक्ष, बाल हीमेटोलॉजी एवं ऑन्कोलॉजी, चाइल्ड पीजीआई नोएडा ने बताया कि एनएचएम के सहयोग से अब थैलेसीमिया देखभाल सेवाएं अधिक सुलभ और सुव्यवस्थित हो गई हैं। राज्य में एनएटी टेसिंटग और ल्यूकोडिप्लेटेड रक्त की सुविधा उपलब्ध है, जो कई देशों में भी नहीं है।
प्रदेश में जिन जनपदों में थैलेसीमिया डे-केयर सेंटर स्थित हैं, उनमें आगरा, अलीगढ़, बरेली, गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, झांसी, वाराणसी, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, सहारनपुर, मिर्जापुर, आज़मगढ़, इटावा, बांदा, जालौन, कन्नौज, बस्ती, गोंडा, मुरादाबाद, अम्बेडकरनगर, बहराइच, ललितपुर, गाज़ियाबाद और प्रयागराज शामिल हैं।थैलेसीमिया एक रक्त संबंधी बीमारी है, जो माता-पिता से उनके बच्चों तक पहुंचती है, लेकिन आज भी इस बीमारी को लेकर कई मिथक मौजूद हैं। इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने और सही जानकारी प्रदान करने हेतु हर साल अंतर्राष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है।