
बस्ती। राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर शहर- कस्बों व ग्रामीण क्षेत्रों के मार्गों पर ट्रैक्टर-ट्रॉलियां दौड़ रही हैं। कृषि कार्य में पंजीकृत ट्रैक्टरों का बड़े पैमाने पर व्यावसायिक प्रयोग किया जा रहा है। जिले में 29 हजार 539 ट्रैक्टर-ट्रॉली कृषि कार्य के लिए पंजीकृत हैं। इनका खेत से लेकर बाजार तक व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है। इन पर न तो प्रशिक्षित चालक हैं और न ही इनकी फिटनेस की कोई गाइड लाइन आरटीओ के पास है। कारण यह है कि सभी ट्रैक्टर का पंजीकरण सिर्फ कृषि कार्य के लिए जारी हुआ है। इनकी फिटनेस की कोई व्यवस्था नहीं बनाई गई है।
बिना व्यावसायिक पंजीकरण के सड़कों पर ओवरलोड दौड़ रहीं ट्रैक्टर ट्रॉलियों के खिलाफ परिवहन विभाग, यातायात पुलिस की ओर से कार्रवाई भी नहीं की जा रही है। इसके चलते इनका प्रयोग खनन और निर्माण सामग्री ढोने के काम धड़ल्ले से किया जाने लगा है। इसके सरकार के राजस्व में प्रतिदिन लाखों का चूना लग रहा है।
शासन से नियम है कि व्यावसायिक प्रयोग में आने वाले ट्रैक्टर व उनकी ट्रॉली का पंजीकरण जरूरी है। वहीं, शहर की सड़कों पर जुगाड़ की ट्रॉली बनाकर ट्रैक्टरों का व्यावसायिक प्रयोग में किया जा रहा है। इनकी संख्या भी सैकड़ों में होगी। हैरत तो इस बात की है कि सड़कों पर चेकिंग करने निकलने वाली परिवहन विभाग की टीमों को यह वाहन नजर ही नहीं आते हैं। चेकिंग अभियान दो पहिया, चार पहिया, ओवरलोड ट्रकों तक ही सीमित है।

एआरटीओ पंकज सिंह ने बताया कि जब भी चेकिंग अभियान चलाया जाता है। तब सभी ओवरलोड वाहनों की निगरानी की जाती है। समय-समय पर व्यावसायिक कार्य करने वाली ट्रैक्टर ट्रॉलियों के पकड़े जाने पर चालान भी होता है। जल्द ही व्यावसायिक प्रयोग में होने वाले ट्रैक्टर ट्रॉलियों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।