
लखनऊ। गांधी जयंती के अवसर पर शुक्रवार को खादी ग्राम उद्योग भवन, डालीबाग में फिक्की फ्लो लखनऊ चौप्टर द्वारा आयोजित दो दिवसीय कारीगर मेला 2025 का विधिवत शुभारंभ प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, खादी, हथकरघा एवं वस्त्र मंत्री राकेश सचान ने किया।

इस मेले में देश एवं प्रदेश की विविध शिल्प परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन किया जा रहा है, जिसमें देशभर के कारीगर अपनी उत्कृष्ट कृतियों को प्रदर्शित और विक्रय कर रहे हैं।मेले में आगंतुकों ने अमेठी के मूंज उत्पाद, कन्नौज की सुगंध, अवधी चांदी के जूते, मधुबनी कला, उत्सव उपहार, आभूषण, क्रोशिया, हड्डी की नक्काशी, कांच के शिल्प और जीवनशैली उत्पादों का आनंद लिया। प्रत्येक वस्तु न केवल कालातीत कलात्मकता का प्रतीक है, बल्कि स्थायी और पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को भी दर्शाती है।
उद्घाटन अवसर पर मंत्री राकेश सचान ने कहा कि हथकरघा और हस्तशिल्प हमारी संस्कृति और अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह क्षेत्र लाखों कारीगरों को रोजगार देता है और हमारी समृद्ध विरासत को संरक्षित करता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारतीय हथकरघा उद्योग देश में कुल कपड़ा उत्पादन का लगभग 15 प्रतिशत योगदान दे रहा है और 43 लाख से अधिक बुनकरों को रोजगार प्रदान कर रहा है, जिनमें अधिकांश महिला कारीगर हैं।मंत्री ने कहा कि बुनियादी ढांचे की कमी, सीमित बाजार पहुंच और उपभोक्ताओं में हस्तनिर्मित उत्पादों के प्रति जागरूकता की कमी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए मेलों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का महत्व बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के माध्यम से महिला कारीगरों को सशक्त बनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे स्वदेशी और हस्तनिर्मित उत्पादों को प्रोत्साहन दें, ताकि कारीगरों को आर्थिक मजबूती मिल सके और पर्यावरण अनुकूल टिकाऊ जीवनशैली को बढ़ावा मिले।
फिक्की फ्लो लखनऊ चौप्टर की चेयरपर्सन वंदिता अग्रवाल ने बताया कि इस मेले का मुख्य उद्देश्य कारीगरों को बाजार के साथ-साथ पहचान दिलाना है, जिससे उन्हें आजीविका के बेहतर अवसर मिल सकें और भारत की सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित रहे।
इस आयोजन में अदिति जग्गी और रिया पंजाबी इवेंट चेयर रहीं, जबकि राष्ट्रीय हथकरघा एवं हस्तशिल्प प्रमुख स्वाति वर्मा ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।इस अवसर पर पूर्व चेयरपर्सन आरुषि टंडन, विभा अग्रवाल सहित फ्लो की 150 से अधिक सदस्याएँ मौजूद रहीं। मेले में विभिन्न शिल्प उत्पादों के प्रदर्शन और बिक्री के माध्यम से कारीगरों की आर्थिक सशक्तिकरण और सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की गई है।