
दुबई। संयुक्त अरब अमीरात ने अपनी वीजा नीति में एक ऐतिहासिक बदलाव किया है, जिससे भारतीयों के लिए प्रतिष्ठित ‘गोल्डन वीजा’ पाना अब पहले से कहीं ज्यादा आसान और सस्ता हो गया है। यूएई सरकार ने निवेश की भारी-भरकम शर्तों को हटाते हुए नामांकन पर आधारित एक नई गोल्डन वीजा प्रक्रिया शुरू की है, जिसका सीधा लाभ भारतीय पेशेवरों और निवेशकों को मिलेगा।
करोड़ों के निवेश की शर्त खत्म
अब तक, भारतीयों को दुबई का 10-वर्षीय गोल्डन वीजा हासिल करने के लिए UAE में संपत्ति या व्यवसाय में एक बड़ी राशि का निवेश करना पड़ता था। इसके लिए कम से कम 2 मिलियन दिरहम (लगभग 4.66 करोड़ रुपए) की संपत्ति खरीदनी पड़ती थी या फिर किसी स्थानीय व्यापार में बड़ी हिस्सेदारी लेनी होती थी। लेकिन नई नामांकन-आधारित नीति के तहत, योग्य भारतीय अब लगभग 23.30 लाख रुपए का शुल्क देकर यह आजीवन वीजा प्राप्त कर सकते हैं।
भारत को मिला पहले चरण में मौका
इस नई वीजा नीति के परीक्षण के पहले चरण के लिए भारत और बांग्लादेश को चुना गया है। अनुमान है कि अगले तीन महीनों में 5,000 से अधिक भारतीय इस नई व्यवस्था के तहत वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं। भारत में इस प्रक्रिया के संचालन के लिए ‘रायद ग्रुप’ नामक एक कंसल्टेंसी को अधिकृत किया गया है।
क्या है आवेदन की प्रक्रिया?
रायद ग्रुप के प्रबंध निदेशक रायद कमाल अयूब ने इसे भारतीयों के लिए एक सुनहरा अवसर बताया है। उन्होंने कहा कि आवेदन प्रक्रिया के तहत आवेदक की पृष्ठभूमि की गहन जांच की जाएगी। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक रिकॉर्ड की जांच के साथ-साथ उनके सोशल मीडिया प्रोफाइल का भी विश्लेषण किया जाएगा।
जांच का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आवेदक संस्कृति, वित्त, व्यापार, विज्ञान, स्टार्ट-अप या अन्य पेशेवर सेवाओं के माध्यम से UAE की अर्थव्यवस्था और व्यावसायिक गतिविधियों में किस प्रकार योगदान दे सकता है। इस नई प्रणाली की सबसे खास बात यह है कि इच्छुक आवेदक दुबई की यात्रा किए बिना, अपने देश से ही वीजा के लिए पूर्व-अनुमोदन प्राप्त कर सकते हैं।
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