
लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में कंसोर्टियम फॉर एजुकेशनल कम्युनिकेशन, नई दिल्ली और एजुकेशनल मल्टीमीडिया रिसर्च सेंटर (ईएमआरसी), बीबीएयू के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं डिजिटल शिक्षा’ विषय पर केंद्रित इस कार्यशाला का समापन 28 फरवरी को हुआ, जिसमें देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षकों, अकादमिक अधिकारियों और शोधार्थियों ने भाग लिया।समापन सत्र की अध्यक्षता डीन ऑफ एकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू ने की।
इस अवसर पर मंच पर ईएमआरसी, बीबीएयू के डायरेक्टर प्रो. गोपाल सिंह, कंसोर्टियम फॉर एजुकेशनल कम्युनिकेशन, नई दिल्ली के रिसर्च साइंटिस्ट डॉ. शत्रुद्धा तोमर, ब्रांड क्लिन प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर डायरेक्टर एवं एआई सलाहकार श्री मानस दीवान, उप समन्वयक डॉ. महेंद्र कुमार पाढी और डॉ. रचना गंगवार, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. राजश्री तथा पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के डॉ. विनीत कुमार भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से अतिथियों और शिक्षकों को पुष्पगुच्छ और स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। उद्घाटन सत्र में प्रो. गोपाल सिंह ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।कार्यशाला के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई।
प्रो. एस. विक्टर बाबू ने कहा कि एआई दुनिया की सर्वश्रेष्ठ तकनीकों में से एक है, लेकिन इसका दुरुपयोग गंभीर परिणाम भी ला सकता है। उन्होंने एआई के उपयोग को एल्गोरिदम सीखने, समस्या समाधान, डिजिटल डेटा प्रोसेसिंग, बायोइंफॉर्मेटिक्स और मशीन बायोलॉजी जैसे क्षेत्रों में अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
डॉ. शत्रुद्धा तोमर ने कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस तरह की कार्यशालाओं का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों और शैक्षणिक अधिकारियों को शिक्षा के क्षेत्र में एआई उपकरणों के उपयोग से परिचित कराना है। उन्होंने बताया कि एआई का उपयोग शिक्षण कार्य को अधिक प्रभावी और रुचिकर बनाने के लिए किया जा सकता है, जिससे डिजिटल शिक्षा को नई दिशा मिल सके।
ब्रांड क्लिन प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर एवं एआई विशेषज्ञ श्री मानस दीवान ने ‘डिजिटल भविष्य की कल्पना’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने वेब 3, मेटावर्स, ब्लॉकचेन, डिसेंट्रलाइज्ड एआई और सेगमेंटेड रियलिटी जैसे उभरते हुए तकनीकी क्षेत्रों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि एआई लिट्रेसी बढ़ाने के लिए मूक्स प्रोग्राम बेहद कारगर साबित हो सकते हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. राजश्री ने एआई के नैतिक निहितार्थों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह तकनीक जहां एक ओर विकास का साधन है, वहीं दूसरी ओर इसके अत्यधिक उपयोग से मानवीय बौद्धिक क्षमता प्रभावित हो सकती है। उन्होंने साइबर अपराध, डेटा सुरक्षा, कॉपीराइट संबंधी चुनौतियों और सरकारी तकनीकी नीतियों पर भी चर्चा की।
पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के डॉ. विनीत कुमार ने शिक्षकों के लिए उपयोगी एआई टूल्स पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि लर्निंग मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर, कोर्स मैनेजमेंट सिस्टम, ब्लेंडेड लर्निंग, गूगल क्लासरूम, माइक्रोसॉफ्ट टीम, मूडल और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स शिक्षण को अधिक प्रभावी और दिलचस्प बना सकते हैं।
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। समापन अवसर पर डॉ. महेंद्र कुमार पाढी ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में प्रो. गोविंद जी पांडेय, डॉ. अरविंद सिंह, डॉ. कुंवर सुरेंद्र बहादुर, डॉ. लोकनाथ, ईएमआरसी बीबीएयू के सदस्य अनुराग कुमार, अभिलाष दास, दुर्गेश मौर्य, मयंक थपलियाल, अनूप कुमार, अरुण वर्मा सहित विभिन्न संकायों के शिक्षक और शोधार्थी उपस्थित रहे।