लखनऊ। उत्तर प्रदेश की विकास यात्रा में यमुना एक्सप्रेस-वे अब केवल एक सड़क नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी सोच, मजबूत इच्छाशक्ति और निर्णायक नेतृत्व का जीवंत प्रतीक बन चुका है। कभी दिल्ली और आगरा को जोड़ने वाले साधारण कॉरिडोर के रूप में पहचाना जाने वाला यह एक्सप्रेस-वे आज प्रदेश के औद्योगिक पुनर्जागरण, निवेश विस्तार और नियोजित शहरीकरण का सबसे बड़ा आधार बनकर उभरा है। योगी सरकार ने यमुना एक्सप्रेस-वे को सिर्फ यातायात सुविधा तक सीमित न रखते हुए इसे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति देने वाले इंजन के रूप में विकसित किया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने पिछले कुछ वर्षों में इन्फ्रास्ट्रक्चर आधारित विकास का ऐसा मॉडल अपनाया है, जिसने प्रदेश की छवि देश और दुनिया में बदली है। यमुना एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर विकसित हो रहे औद्योगिक क्लस्टर, आधुनिक अर्बन सेंटर्स और लॉजिस्टिक्स हब इस बात के प्रमाण हैं कि सरकार की नीतियां केवल कागजों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जमीन पर ठोस परिणाम दे रही हैं। यह क्षेत्र अब उस नए उत्तर प्रदेश की पहचान बन रहा है, जहां निवेशकों को भरोसा, युवाओं को रोजगार और प्रदेश को आर्थिक मजबूती मिल रही है।
प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन दीपक मैनी के अनुसार, यमुना एक्सप्रेस-वे के आसपास विकसित हो रही परियोजनाएं उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम कर रही हैं। यह पूरा क्षेत्र प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की दिशा में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के माध्यम से सरकार ने नियोजित विकास का ऐसा मॉडल प्रस्तुत किया है, जो उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय और वैश्विक निवेश मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करेगा।
लगभग 3000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला यह औद्योगिक विकास क्षेत्र दो चरणों में विकसित किया जा रहा है। इसमें औद्योगिक, आवासीय, वाणिज्यिक और मिश्रित भूमि उपयोग की स्पष्ट और संतुलित योजना बनाई गई है, जिससे अनियोजित शहरीकरण पर प्रभावी नियंत्रण संभव हो सका है। मुख्यमंत्री की यह स्पष्ट मंशा रही है कि विकास का लाभ केवल बड़े शहरों तक सीमित न रहे, बल्कि आसपास के जिलों और ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुंचे। यमुना एक्सप्रेस-वे के किनारे विकसित हो रहे औद्योगिक क्लस्टर इसी सोच का परिणाम हैं।
बेहतर सड़क नेटवर्क, निर्बाध बिजली आपूर्ति, जल निकासी और अन्य आधारभूत सुविधाओं के कारण यह पूरा क्षेत्र निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। दिल्ली, आगरा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से मजबूत कनेक्टिविटी ने यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्र को लॉजिस्टिक्स और मैन्युफैक्चरिंग के लिए आदर्श बना दिया है।
इसके साथ ही जेवर में निर्माणाधीन नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट इस पूरे क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय पहचान देने जा रहा है। योगी सरकार ने एयरपोर्ट को केंद्र में रखकर औद्योगिक शहरों, लॉजिस्टिक्स हब और रोजगार केंद्रों की एक पूरी श्रृंखला विकसित करने की रणनीति तैयार की है।
जेवर क्षेत्र में प्रस्तावित एचसीएल फॉक्सकॉन की ओसैट यूनिट, जिसके लिए जनवरी 2026 में भूमि पूजन संभावित है, सेमीकंडक्टर और ईएमसी पार्क, मेडिकल डिवाइस पार्क और डेटा सेंटर पार्क जैसी परियोजनाएं इस क्षेत्र को हाई-टेक इंडस्ट्रियल हब के रूप में स्थापित कर रही हैं। विवो, एलजी और हावेल्स जैसी प्रमुख कंपनियों द्वारा फैक्ट्रियों की स्थापना से औद्योगिक गतिविधियों को नई गति मिली है।
इसके साथ ही मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब, एयरपोर्ट एक्सप्रेस-वे और आरआरटीएस जैसी कनेक्टिविटी परियोजनाओं ने इस क्षेत्र की लॉजिस्टिक क्षमता को और मजबूत किया है।वर्तमान में यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्र में दो सौ से अधिक नई फैक्ट्रियां निर्माणाधीन हैं।
सेमीकंडक्टर पार्क और अन्य औद्योगिक परियोजनाओं से बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की संभावना है। जेवर एयरपोर्ट और औद्योगिक जोन के विकास से रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में भी नए अवसर सृजित हो रहे हैं।
कुल मिलाकर यमुना एक्सप्रेस-वे आज केवल एक मार्ग नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के आर्थिक भविष्य का आधार बन चुका है। योगी सरकार की दूरदर्शी नीतियों और मजबूत इरादों के चलते यह क्षेत्र प्रदेश को औद्योगिक, तकनीकी और आर्थिक रूप से नई ऊंचाइयों पर ले जाने में निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
