
बस्ती। कम मानदेय और अनियमित ड्यूटी के चलते परिवहन निगम को बसों के चालक नहीं मिल रहे हैं। दो-चार माह की नौकरी के बाद डिपो से तौबा कर लेते हैं।
चालकों की कमी की वजह से शाम 6 बजे के बाद डिपो से लोकल रूटों पर गाड़ियां नहीं मिल रही हैं। कुल 129 बसों के सापेक्ष 198 चालकों की जरूरत है। वर्तमान में 163 चालक ही कार्यरत हैं। 37 चालकों की कमी डिपो को अखर रही है। मानक के मुताबिक एक बस पर औसतन डेढ़ चालक की आवश्यकता होती है। तभी बसों का नियमित संचलन संभव है।
मानक के मुताबिक एक बस पर औसतन डेढ़ चालक की आवश्यकता होती है। तभी बसों का नियमित संचलन संभव है। कारण यह है कि दिन-रात सेवा देने वाले चालकों की शिफ्टवार ड्यूटी लगाई जाती है।
मानदेय कम होने के कारण संविदा चालक की नौकरी के प्रति रुचि युवाओं में कम रहती है। नियुक्ति के बाद भी लोग दो-चार महीने की नौकरी के बाद डिपो से तौबा कर लेते हैं।
लंबी दूरी की बसों का संचालन तो जैसे-तैसे हो जा रहा है। मगर, लोकल रूट की बसों को अमूमन एक चक्कर ही चलाया जा रहा है।
कुछ चालक ऐसे भी हैं कि दिन भर की ड्यूटी पूरी करने के बाद शाम को बस लेकर बांसी, महुली, बढ़नी आदि रूटों पर जाने के बाद रात्रि विश्राम करते हैं। सुबह फिर वह लौट पाते हैं। चालकों की कमी की वजह से शाम 6 बजे के बाद लोकल रूटों पर गाड़ियां नहीं मिल रही हैं। यात्रियों को प्राइवेट वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है।