आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी
धर्म & आस्था: लोह गंजारी गांव में जंगलेश्वर महादेव जी का मंदिर है। यहां पर धर्मदेव के मित्र संध्यागिरि साधु रहते थे। घनश्याम महराज को लेकर धर्मदेव पिता अक्सर यहां आया करते थे। यहां पर घनश्याम महराज कई आश्चर्य चकित करने वाले कृत्य किए हैं.
धर्मदेव के मित्र संध्यागिरि साधु प्रतिदिन जंगलेश्वर महादेव जी के मंदिर की सेवा पूजा किया करते थे। मंदिर के चारो तरफ बड़ा बगीचा था। उसमे बड़े बड़े नाग निवास करते थे। इस कारण से कई बार शंकर जी की पूजा में दिक्कतें आ जाती थी। साधु ने एक बार घनश्याम महराज से प्रार्थना किया कि हे भगवान! हमारा ये कष्ट दूर करें।
घनश्याम महराज हंसते हंसते हुए गरुण महाराज को याद किया। तुरन्त गरुण जी महाराज नमस्कार मुद्रा में सामने उपस्थित हो गए। गरुण जी को देखते ही सारे नाग पाताल लोक में चले गए। यह स्थान एकदम निर्भय बन गया।
एक बार लखनऊ के नबाब ने लोह गंजरी गांव पर सैनिक भेजे थे। तब साधु की प्रार्थना पर घनश्याम महराज ने अपना प्रताप दिखाया था कि गांव के अन्दर से अरबी सेना बाहर आ रही है। नबाब के सैनिक को पता चला। इस कारण हथियार गोले बारूद छोड़ कर भाग गए।
मंदिर के पिछले भाग में साधु ने कुम्हड़ा लगाया था। कुम्हड़े बहुत बड़े बड़े थे। बड़ा भाई अकेले उसे उठा नहीं सकते थे। छपिया के घन श्याम महराज ने उसे एक हाथ से ही उठा दिया था। यहां पर कई आश्चर्य जनक कार्य घन श्याम महराज ने किया है। यह एक प्रसादी का स्थल है। यहां भी एक छतरी बनी रहती है।
लेखक परिचय: (लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं. वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम-सामयिक विषयों, साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं। )