
-डॉक्टर की लापरवाही से मासूम की मौत का आरोप, अब किससे पूछें इंसाफ?
-घटना के सम्बंध में जानकारी के लिए फोन करने पर अस्पताल के लोगों ने काट दिया फोन’
अयोध्या। बच्चे की किलकारियां गूंजने से पहले ही मौत की चुप्पी उसे निगल गई। यह दर्दनाक घटना अयोध्या के एक प्राइवेट चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की लापरवाही का खौफनाक नतीजा है, जिसने एक नवजात की जिंदगी को सिर्फ पैसों और लापरवाही के नाम पर कुचल दिया।
9 मई की सुबह, बेनीगंज-साकेत पुरी रोड स्थित अयोध्या चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में एक नवजात को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत के चलते भर्ती कराया गया। बच्चे का जन्म गुरु कृपा हॉस्पिटल में हुआ था, लेकिन हालत नाजुक होने के कारण परिवार ने उसे बेहतर इलाज के लिए चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में भर्ती कराया। डॉक्टर अंकुश शुक्ला की देखरेख में इलाज शुरू होना था, लेकिन उससे पहले ही परिवार से डेढ़ लाख रुपये जमा कराने की मांग की गई।
परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर की प्राथमिकता बच्चे की जान नहीं, बल्कि पैसे थे। इलाज की प्रक्रिया शुरू होने में देर होती रही, और इसी बीच बच्चे की हालत और बिगड़ गई। परिवार का दावा है कि डॉक्टर ने 10 मई की सुबह कहा कि बच्चे को लखनऊ ले जाया जाए, क्योंकि अब उनके हाथ में कुछ नहीं है जबकि सच्चाई यह थी कि बच्चा करीब ढाई घंटे पहले ही दम तोड़ चुका था।
जनवादी ट्रस्ट के चेयरमैन सत्यभान सिंह ने डॉक्टर अंकुश शुक्ला पर हत्या जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “यह बच्चा नहीं मरा, बल्कि मारा गया है पैसे की हवस में, डॉक्टर की बेरुखी में। अगर समय रहते इलाज शुरू होता, तो आज एक घर उजड़ने से बच जाता।
परिजन और ट्रस्ट के सदस्य अब प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि डॉक्टर के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए और अस्पताल को तत्काल सीज किया जाए। उनका कहना है कि जब तक सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक मासूमों की जान यूं ही जाती रहेगी।
फिलहाल इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन जनदबाव और मीडिया में मामले की गूंज को देखते हुए जल्द ही जांच बैठाई जा सकती है।
जब इस सम्बंध में चिल्ड्रन हॉस्पिटल के नम्बर पर फोन करके जानकारी चाही गयी तो फोन उठाने वाली महिला कर्मचारी ने डॉक्टर अंकुश शुक्ला से बात कराने के बजाय फोन डिस्कनेक्ट कर दिया। कई बार फोन करने पर दुबारा नही उठाया।
एक परिवार ने अपना सब कुछ खो दिया, एक मां की गोद सूनी हो गई, और एक पिता का भविष्य अधूरा रह गया। इस घटना ने फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं क्या प्राइवेट अस्पताल अब सिर्फ कमाई का जरिया बन गए हैं? और क्या प्रशासन आंखें खोलकर देखेगा कि अब मासूमों की जानों से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए?