
प्रयागराज। प्रयागराज नगर निगम के दो जोनों से 1.44 करोड़ रुपये के गबन का मामला प्रकाश में आया है। यह घोटाला न केवल निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि आउटसोर्सिंग व्यवस्था की पारदर्शिता और निगरानी तंत्र की पोल भी खोलता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर निगम के जोन-3 और जोन 7 में कार्यरत दो आउटसोर्स कंप्यूटर ऑपरेटर आकाश श्रीवास्तव (जोन-3) और सत्यम शुक्ला (जोन-7) पर आरोप है कि इन्होंने गृहकर के नाम पर जनता से धनराशि वसूली, रसीदें काटीं, लेकिन वह राशि निगम के खजाने तक पहुंची ही नहीं।
इस गबन को लेकर मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पी. के. द्विवेदी द्वारा दी गई तहरीर के मुताबिक, प्रारंभिक जांच में पाया गया कि जोन 3 के आकाश श्रीवास्तव की आईडी से काटी गई 88 रसीदों में ₹18,08,661 की राशि निगम कोष में नहीं जमा की गई। वहीं जोन 7 के सत्यम शुक्ला की आईडी से 387 गृहकर रसीदें जारी की गईं, जिनकी राशि ₹1,26,05,368 थी जो गायब है।
इस मामले ने नगर निगमों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों की भूमिका और जवाबदेही पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या बिना उचित निगरानी और ऑडिट ट्रैकिंग के इतने संवेदनशील विभागों में आउटसोर्स स्टाफ को जिम्मेदारी देना सही है?
विवाद के बाद शहरवासियों में रोष है। लोगों का कहना है कि जब वे ईमानदारी से गृहकर जमा करते हैं, तो उस धन का गबन होना विश्वासघात है। कई नागरिक संगठनों ने मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो, दोषियों को जेल भेजा जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम और रियल-टाइम रसीद सत्यापन लागू किया जाए।