लखनऊ। हिज़बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत की खबर के बाद लखनऊ में शिया समुदाय के बीच गहरा शोक छा गया। खबर फैलते ही आधी रात को करीब दस हजार से अधिक लोग सड़कों पर उतर आए और मातम मनाया। शिया धर्मगुरुओं ने नसरल्लाह की मौत पर तीन दिन के शोक की घोषणा की है।
लखनऊ के पुराने शहर में हजारों लोग रात के समय इकट्ठा हुए और मातमी जुलूस निकाला। हाथों में काले झंडे और बैनर लिए लोग नसरल्लाह को श्रद्धांजलि अर्पित करते नजर आए। इस दौरान धार्मिक नारों के साथ-साथ शांति की अपील की गई।
बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है। पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को टाला जा सके। अधिकारियों का कहना है कि स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है।यह घटना नसरल्लाह की मृत्यु के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठे भावनात्मक माहौल का एक उदाहरण है, जिसने लखनऊ जैसे शहरों को भी प्रभावित किया है।
आपको बता दे की लेबनानी आतंकी संगठन हिजबुल्लाह ने शनिवार को अपने नेता हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि कर दी है। इससे पहले इजरायली डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने दावा किया था कि उन्होंने हिजबुल्लाह चीफ को मार गिराया है। आईडीएफ के मुताबिक शुक्रवार देर रात बेरूत के दक्षिणी उपनगरीय इलाके दहिह में हिजबुल्लाह हेडक्वार्टर पर किए गए हमले में नसरल्लाह मारा गया।
हिजबुल्लाह ने शुक्रवार को बेरूत पर इजरायली हमले में अपने नेता सैयद हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की।’नसरल्लाह, 1982 में लेबनान पर इजरायली आक्रमण के बाद, हिजबुल्लाह की स्थापना के समय से ही इसके साथ जुड़ा हुआ था। 1992 में उसने संगठन के नेता के रूप में कार्यभार संभाला था।
नसरल्लाह का हिजबुल्लाह पर पूरा नियंत्रण था। वह संगठन का महासचिव होने के साथ ही शूरा परिषद का प्रमुख था। शूरा परिषद हिजबुल्लाह के धार्मिक, सैन्य, रणनीतिक मामलों के लिए फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था है।
नसरल्लाह का मारा जाना हिजबुल्ला के लिए सबसे बड़ी चोट है। उसके नेतृत्व में जहां हिजबुल्लाह ने अपनी सैन्य क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया, वहीं ईरान के साथ मजबूत गठबंधन बनाए रखा।