
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में मुख्यमंत्री सर्वहित किसान बीमा योजना, मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना तथा कृषक बीमा योजनाओं के अंतर्गत लम्बित दावों के शीघ्र निस्तारण के लिए प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और महानिदेशक, संस्थागत वित्त, बीमा एवं बाह्य सहायतित परियोजना को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
मुख्य सचिव की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि पूर्ववर्ती योजनाओं के अंतर्गत लंबित सभी दावे, जो जिलाधिकारी या उनके द्वारा गठित समितियों तथा इंश्योरेंस कंपनियों के समक्ष लंबित हैं, उन्हें संबंधित शासनादेशों में निर्धारित प्रक्रिया के तहत दो माह के भीतर निस्तारित किया जाए। साथ ही इनके निस्तारण की जानकारी राजस्व परिषद के माध्यम से शासन को भेजी जाए।वर्तमान में प्रभावी मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अंतर्गत प्राप्त दावों का निस्तारण 28 फरवरी, 2020 के शासनादेश में वर्णित प्रक्रिया के अनुसार नियत समयसीमा में किया जाएगा।
शासनादेश में यह भी निर्देशित किया गया है कि प्रत्येक जनपद में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति की बैठक मासिक रूप से दो बार अनिवार्य रूप से आयोजित की जाए। यदि किसी दावे या आवेदन में कोई कमी पाई जाती है, तो उसका औपचारिक निराकरण करते हुए आवेदक को सूचित किया जाए। इस प्रकार के मामलों का विवरण एक रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा।
शासन ने स्पष्ट किया है कि दावों के निस्तारण और भुगतान की नियमित मासिक समीक्षा जिलाधिकारी और मण्डलायुक्त स्तर पर की जाए। किसी स्तर पर अनावश्यक रूप से फाइल लंबित रखने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही की चेतावनी भी दी गई है। दावों के स्वीकृत होने पर यदि बजट उपलब्ध है, तो भुगतान में कोई विलंब नहीं किया जाएगा, और यदि बजट अनुपलब्ध हो तो तत्काल राजस्व परिषद को मांगपत्र भेजा जाए।
मण्डलायुक्तों को मासिक समीक्षा बैठकों में दावों के निस्तारण की स्थिति की निगरानी करने का निर्देश दिया गया है। वहीं, राजस्व परिषद भी हर माह राज्य स्तर पर समीक्षा कर प्रगति रिपोर्ट शासन को प्रेषित करेगा।