
•कृष्ण-सत्यभामा के मिलन जैसा योग, करवाचौथ पर रहेगा विशेष शुभ समय।
Karwa Chauth: करवाचौथ का पर्व इस बार शुभ योग में मनाया जाएगा। चंद्रमा वृषभ राशि में लाभ की चौघड़िया में रात 8:25 मिनट पर उदित होगा। पंचांग के अनुसार शुक्रवार 10 अक्तूबर को करवाचौथ का उपवास रखा जाएगा। इस संयोग में करवा माता की आराधना करने से वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याएं समाप्त होंगी। रिश्तों में मिठास बनी रहेगी।
करवाचौथ का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए खास होता है। इस दिन पति की लंबी उम्र और तरक्की के लिए महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत का पारण चांद निकलने पर किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत की शुरुआत सरगी के साथ होती है। जो सूर्योदय से लगभग दो घंटे पहले तक खाई जाती है।
इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंस के सचिव आचार्य कौशल वत्स ने बताया कि इस दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 18 मिनट पर होगा। महिलाएं इससे 2 घंटे पहले सरगी खा सकती हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन व्यतीपात योग, कृत्तिका नक्षत्र शाम 05:32 तक, उसके बाद रोहिणी नक्षत्र है। चंद्रमा वृषभ राशि में मौजूद रहेंगे।
ज्योतिषाचार्य विनोद त्यागी ने बताया कि इस योग में कोई भी शुभ कार्य और पूजा अर्चना करना सर्वोत्तम माना जाता है। 10 अक्तूबर को चंद्रमा अपनी राशि बदलकर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। वृषभ राशि चंद्रमा की उच्च राशि मानी जाती है। इसका अर्थ है कि यहां चंद्रमा अत्यंत बलवान और शुभ फल देने वाला हो जाता है।
सूर्योदय से पहले उठकर करें पूजा
व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले उठ जाएं। सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करें। पानी पीएं और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें। करवाचौथ में महिलाएं पूरे दिन जल अन्न कुछ ग्रहण नहीं करतीं। फिर शाम के समय चांद को देखने के बाद दर्शन कर व्रत खोलती हैं।
चंद्र देव अपनी उच्च राशि वृष में होंगे विराजमान:
करवाचौथ के दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृष में होंगे। यह योग भगवान कृष्ण और सत्यभामा के मिलन पर बना था। इसे अमर सुहाग योग भी कहा जाता है। आज के दिन सुहागिन महिलाएं लाल, ओरेंज या गोल्डन रंग के कपड़े पहनें तो अत्यंत ही शुभ होगा।
करवाचौथ का व्रत सूर्योदय से चांद निकलने तक रखा जाता है। चांद को अर्घ्य देने और दर्शन करने के बाद ही व्रत को खोलने का नियम है। चंद्रोदय से कुछ समय पहले शिव, पार्वती और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। चांद निकलने के बाद महिलाएं पति को छलनी में दीपक रखकर देखती हैं और पति के हाथों जल पीकर उपवास खोलती हैं।
पूजन का शुभ समय...
पूजन मुहूर्त: दोपहर 03:20 बजे से 04:50 तक
पूजन विशेष योग: शाम 5 बजकर 56 मिनट से शाम 7 बजकर 10 मिनट तक
लाभ की चौघड़िया में चंद्रोदय समय रात्रि 08:25 मिनट।