
सुल्तानपुर। जिले में मनरेगा योजना अब अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के लिए अवैध कमाई का साधन बन गई है। फर्जी मजदूरों की तस्वीरें अपलोड कर और खुदाई के नाम पर लाखों रुपये की बंदरबांट की जा रही है। इस भ्रष्टाचार में ब्लॉक से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि शिकायतों को अधिकारी गंभीरता से नहीं लेते और उन्हें रद्दी की टोकरी में डालकर भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देते हैं।
ताजा मामला दुबेपुर ब्लॉक के चकरपुर गांव का है। चकरपुर ग्राम पंचायत में तिवारीपुर बॉर्डर से शिवमूर्ति के खेत तक लगभग 500 मीटर लंबा एक नाला स्थित है, जो झाड़ियों से भरा पड़ा है। इसी नाले की फर्जी सफाई दिखाकर लगभग 2.8 लाख रुपये का भुगतान कर लिया गया।
शिकायतकर्ता राजेश सोनकर ने 18 अप्रैल को डीसी मनरेगा को पत्र भेजकर अवगत कराया कि उक्त नाले की सफाई वर्ष 2023-24 में क्षेत्र पंचायत द्वारा कराई जा चुकी थी, बावजूद इसके कागजों में दोबारा खुदाई दिखाकर फर्जी भुगतान की तैयारी की जा रही है।
मामले में कोई कार्रवाई न होने के चलते 22 अप्रैल को 2,08,908 रुपये का भुगतान करा लिया गया। शिकायतकर्ता ने पूरे प्रकरण की स्थलीय जांच कर कठोर कार्रवाई की मांग की है।
शिकायत कर्ता के अनुसार चकरपुर गांव में नाले की फर्जी सफाई में भी फर्जीवाड़ा किया गया है। भुगतान के लिए जिन कथित मनरेगा मजदूरों की फोटो अपलोड की गई है, वे ग्राम पंचायत के निवासी ही नहीं हैं।