
मुंबई। महाराष्ट्र के पुणे में एक रहस्यमयी बीमारी का प्रकोप देखने को मिल रहा है। दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के मामलों की संख्या रविवार को 100 के पार पहुँच गई। सोलापुर में भी एक संदिग्ध की जीबीएस से मौत की खबर है। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, पीड़ित पुणे में संक्रमित हुआ था और बाद में सोलापुर गया था।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, पुणे, पिंपरी चिंचवाड़ और आसपास के जिलों में जीबीएस के 18 और संदिग्ध मामले सामने आए हैं। विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे 101 मरीजों में से 16 वेंटिलेटर पर हैं। इनमें 68 पुरुष और 33 महिलाएं शामिल हैं।
पुणे में फैल रही रहस्यमयी बीमारी से प्रभावित मरीजों का आयु वर्ग के अनुसार विवरण इस प्रकार है: 9 वर्ष से कम आयु के 19 बच्चे, 10 से 19 वर्ष के 15 किशोर, 20 से 29 वर्ष के 20 युवा, 30 से 39 वर्ष के 13 व्यक्ति, 40 से 49 वर्ष के 12 व्यक्ति, 50 से 59 वर्ष के 13 व्यक्ति, 60 से 69 वर्ष के 8 व्यक्ति और 70 से 80 वर्ष का 1 व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है।
वहीं, क्षेत्रवार विवरण के अनुसार, पुणे नगर निगम क्षेत्र से 81, पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम क्षेत्र से 14 और अन्य जिलों से 6 मामले सामने आए हैं। इससे स्पष्ट है कि इस बीमारी का प्रकोप पुणे शहर और उसके आसपास के क्षेत्रों में अधिक है, जिसमें सभी आयु वर्ग के लोग प्रभावित हुए हैं, लेकिन युवाओं और बच्चों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक है। मामले मुख्य रूप से सिंहगढ़ रोड, खड़कवासला, धायरी, किरकट-वाडी और आसपास के क्षेत्रों से सामने आए हैं।
संदूषण की आशंका के चलते पानी के नमूने जाँच के लिए भेजे गए हैं। शुरुआती जाँच में डेंगू, जीका और चिकनगुनिया के लिए रिपोर्ट नकारात्मक आई है, लेकिन 11 मल के नमूनों में से 9 नोरोवायरस और 3 कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी जीवाणु संक्रमण के लिए सकारात्मक पाए गए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, 9 जनवरी को पुणे के एक अस्पताल में भर्ती एक मरीज में पहला जीबीएस मामला होने का संदेह है। जाँच में कुछ नमूनों में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया पाया गया है। खडकवासला बांध के पास एक कुएँ में ई कोली बैक्टीरिया का उच्च स्तर भी पाया गया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि कुएँ का उपयोग किया जा रहा था या नहीं।
लोगों को पानी उबालकर पीने और खाना गर्म करके खाने की सलाह दी गई है। स्वास्थ्य विभाग 25,578 घरों का सर्वे कर रहा है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा बीमार लोगों का पता लगाया जा सके और जीबीएस मामलों में वृद्धि के कारण का पता लगाया जा सके।
जीबीएस एक गंभीर बीमारी है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से नसों पर हमला करता है। इसका इलाज महंगा है, एक इंजेक्शन की कीमत 20,000 रुपये है।