सुल्तानपुर। कभी-कभी आपके आसपास कुछ ऐसी घटनाएं घटित होती है, जिसे हम नजरअंदाज कर आगे बढ़ जाते है, जिससे हम जिंदगी के उस पहलू से रूबरू नहीं हो पाते जिसे हम अस्ल जिंदगी की चाशनी कह सकते है, हम बात कर रहे है ’टीबी बीमारी’ की।
आज से पहले टीबी बीमारी जिसे हो जाती थी, तो उसका ’घर निकाला’ हो जाता था, उसे मान लिया जाता था कि अब उसकी जीवन मुश्किल है, लेकिन नये भारत में अमूलचूक बदलाव व तरक्की ने कई असाध्य बीमारियों के इलाज पर सफलता हासिल कर ली है, उसी असाध्य बीमारी में क्षयरोग भी शामिल था। जिसे आजके नये भारत ने पक्का इलाज का नाम दिया है और क्षयरोग के समूल नाश के लिए देश आगे बढ़ रहा है, बस थोड़ा जन सहयोग की आवश्यकता है। सरकार क्षयरोगियों पर लाखों रुपए खर्च कर इलाज तो कर ही रही है, साथ ही प्रतिमाह 1 हजार रुपए भी देती है, जिससे मरीज उस पैसे का इस्तेमाल पौष्टिक आहार के सेवन पर खर्च करे। सरकार की मंशा है कि समाजिक संस्थाएं, आर्थिक रूप से सुदृढ व समाजसेवी आगे आए और क्षयरोगियों को गोद लेकर उनकी दवा-ईलाज, देखरेख और थोड़ा-बहुत उनके पौष्टिक आहार की व्यवस्था करें। तथा उनका हौसला बढाएं, उन्हें सामान्य जीवन जीने के लिए मुख्यधारा से जोड़ने में सहयोग करें। सरकार की मंशा और योजना से प्रेरित होकर ऐसे तीन लोग निकलकर सामने आए। जिन्होनें लगातार क्षयरोगियों को गोद लेने का सिलसिला जारी रखा है, इनमें मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय के वरिष्ठ सहायक विजय राय, वाहन चालक संघ के मंत्री मो.वसीम और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बिलाल अहमद अबतक इन कर्मचारियों ने दर्जनों क्षयरोगियों को गोद लेकर प्रतिमाह अपने वेतन से पौष्टिक आहार किट देने का काम कर रहे है, जो लोगों के लिए किसी मिसाल से कम नही है। मो.वसीम व बिलाल अहमद दोनों सीएमओ कार्यालय में तैनात है। ऐसी समाजसेवा और इनके जज्बे को देखकर इन्हें सैल्यूट है, स्वयं डीटीओ डां.आरके कन्नौजिया ने तारीफ करते हुए कहाकि विजय राय, मो.वसीम और बिलाल अहमद के सुकृत्य से लोगों को प्रेरणा लेकर क्षयरोगियों को गोद लेकर उनके जीवन में रंग और उमंग भरने की कोशिश करना चाहिए। उक्त अवसर पर जिला क्षयरोग अधिकारी डां.आरके कन्नौजिया, वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक सुरेश कुमार, वरिष्ठ टीबी लैब पर्यवेक्षक केके तिवारी, एलटी राजीव लोचन पांडेय व गोद लिए गए दोनों मरीज मौजूद रहे।